जिस हाथ में प्रभु के नाम की माला हो उसमें कुछ पहना हुआ हो तो वह हमें यह बताता है कि हमें प्रभु के नाम में पूर्ण आस्था नहीं है । जब हम नाम जपते हैं तो हमें अपने साधन पर पूर्ण आस्था होनी चाहिए । ऐसा कोई कार्य नहीं जो नाम जप से पूरा नहीं हो सकता । नाम जप कलियुग में दुर्गम-से-दुर्गम कार्य करने में पूर्णतया सक्षम है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony