प्रभु का नाम कैसे भी जपें वह कल्याण-ही-कल्याण करेगा । जैसे उपजाऊ
धरती में बीज उलटा, सुलटा, सीधा, टेढ़ा कैसे भी डाले वह अंकुरित होगा ही वैसे ही कलियुग
में प्रभु का नाम जप कैसे भी किया जाए वह फलीभूत होगा ही । कलियुग में विकारों को
देखते हुए प्रभु ने नाम जप में कोई शर्त नहीं लगाई है । नाम जप का कोई नियम नहीं
है, नाम कभी भी, कैसे भी, किसी भी अवस्था में लिया जा सकता है ।
GOD Chanting Personified: Dive into Divine Harmony