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322. क्या माला के साथ किसी अन्य आलंबन की जरूरत है ?

जिस हाथ से हम माला जपते हैं उसी हाथ में हम ताबीज पहनते हैं या उसी हाथ की अंगुली में किसी के द्वारा बताई रत्न जड़ित अंगूठी पहनते हैं तो इसका अर्थ होता है कि हमें अपनी माला पर भरोसा नहीं है और हमें हमारी माला द्वारा जपे प्रभु नाम के मंत्र पर पूर्ण आस्था नहीं है । ऐसी अवस्था में माला का पूर्ण लाभ नहीं मिलता । जो हाथ सच्चे मन से प्रभु की माला जपता है उसे अन्य किसी आलंबन की आवश्यकता ही नहीं होती क्योंकि प्रभु नाम से बड़ा आलंबन कुछ है ही नहीं । ऐसा कोई काम नहीं है जो प्रभु नाम लेने से नहीं बने ।