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196. नाम जप का पुरुषार्थ क्यों करना चाहिए ?

दो अक्षर के दो शब्द हैं । नाम और काम । काम प्रभु को हमसे दूर कर देता है और नाम हमें प्रभु से मिलाता है । कलियुग में अधिकर लोग कामना पूर्ति हेतु प्रयत्न करते हैं और प्रभु नाम जप नहीं के बराबर करते हैं । जबकि होना इसका उल्टा चाहिए कि कामना पूर्ति प्रारब्ध पर छोड़ देना चाहिए और पुरुषार्थ नाम जप के लिए करना चाहिए ।