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188. सनातन धर्म का गौरव क्या है ?

प्रभु के अनेकों नाम हैं । भक्तों को जो नाम अच्छा लगता है उस नाम से भक्त प्रभु को पुकारने लगते हैं और प्रभु उस नाम को स्वीकार कर लेते हैं । यह सनातन धर्म का गौरव है कि एक प्रभु के अनेक रूप और नाम हैं और जिसको जो रूप और नाम प्रिय लगे उससे वह प्रभु को रिझा सकता है ।