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कलियुग केवल नाम अधारा

नाम जप की महिमा:   नाम जप कलियुग में भक्ति का एक मुख्य अंग है । प्रभु के नाम जप की महिमा असीम है । संतों ने प्रभु नाम को “नाम भगवान” की संज्ञा दी है । हर युग में अपने साधन हुआ करते हैं । कलियुग में नाम जप और नाम कीर्तन ही प्रधान साधन है । सभी शास्त्र, संत और पंथ एकमत हैं कि कलियुग में नाम की ही प्रधानता है । संत कहते है कि “कलियुग केवल नाम अधारा, सुमिर सुमिर नर उतरहिं पारा” । सभी शास्त्रों में नाम की महिमा गाई हुई है । श्री रामचरितमानसजी की तो एक बहुत प्रसिद्ध चौपाई है “कलिजुग जोग न जग्य न ग्याना, एक अधार राम गुन गाना” । किनका नाम जप किया जाए:   जिन्होंने गुरु दीक्षा ली हुई है वे गुरु प्रदत्त नाम का जाप करें क्योंकि वही उनके लिए सर्वश्रेष्ठ है । वैसे नीचे दी गई नामावली में से किसी भी नाम का जो आपको प्रिय हो, उसका जाप कर सकते हैं ।
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137. प्रभु का नाम लेना कितना कल्याणकारी होता है ?

प्रभु का नाम जीवन में लेना जीवन के लिए बहुत ही कल्याणकारी होता है । इससे कल्याणकारी साधन कलियुग में अन्य कोई नहीं है । हर युग के अपने साधन होते हैं पर कलियुग के दोषों को देखते हुए इसमें साधन बड़ा सरल और सुलभ रखा गया है और वह है प्रभु नाम का जप । जो कल्याण अन्य युगों में बड़े-बड़े साधनों से संभव होता था वह कलियुग में केवल और केवल प्रभु नाम जप से सुलभ हो जाता हैं ।